Chandrayan: प्रो. साकेत कुशवाहा ( लेखक -प्रसिद्ध, कृषि वैज्ञानिक एवं राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश के कुलपति है
भारत ज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में विश्व को पथ प्रदर्शन करनें वाला राष्ट्र रहा है । प्राचीनकाल से लेकर अर्वाचीन तक भारतीय ज्ञान की यात्रा विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं संचार के क्षेत्र में मूल्यनिष्ठ एवं गतिशील रही है जिसके वैभव का यश सम्पूर्ण विश्व मानता रहा है। जब भारत नें अपनी विज्ञान की यात्रा प्रारंभ की उस समय उसके पास अत्यंत अल्प संसधान थे परंतु भारतीय वैज्ञानिकों की गतिशील एवं राष्ट्रप्रेम वाली सोंच नें अनुसंधान में नई परिधि को परिणिती किया।
भारतीय वैज्ञानिकों नें अनवरत प्रयास करके विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार मे लानें वाले कई ऐसे प्रोजेक्ट को निर्मित किया जिससे भारतीय विज्ञान के संवर्धन का परिदृश सादृश्य होकर पूरे विश्व के देशों नें देखा । अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से शासन में पारदर्शिता आयी है, इसकी योजनाओं को बनाने और सरकारी परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी में मुख्य भूमिका है। साथ ही इससे खनिज भंडारों का पता लगाने में, मौसम की भविष्यवाणी तथा आपदा प्रबंधन में भी मदद मिलती है। वैसे भारत में प्रत्येक माह, दिन और क्षण का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है परंतु अगस्त माह का महत्व कई परिदृश्य से देखा जा सकता है ।
प्रथम तो 15 अगस्त को भारत नें ब्रिटिश हुकूमत से स्वतंत्रता पाई थी और दूसरा ऐतिहासिक महत्व यह है कि 23 अगस्त , 2023 को भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने वह उपलब्धि हासिल की जो पहले किसी अन्य देश ने नहीं की थी जो था चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर उतरना। विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर की सफल तैनाती हुई, जिसने चंद्र सतह की खोज शुरू की। लैंडिंग स्थल का नाम शिव शक्ति पॉइंट रखा गया, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की ताकत और प्रगति का प्रतीक है। चंद्रयान-3 मिशन के तहत भारत ने मिशन के साथ भेजे गए ‘विक्रम’ लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जिस स्थान पर लैंड कराया था उसे शिव शक्ति पॉइंट का नाम दिया गया था।
यह उपलब्धि भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लिए एक महत्वपूर्ण कदम था , जिसने देश को अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों की एक प्रतिष्ठित श्रेणी में ला खड़ा किया। इससे कई क्षेत्रों में नवाचार के नए फलक विकसित हुए जिससे भारत की वैश्विक स्तर पर ख्याति ही नहीं अपितु विज्ञान के सादृश्य परिणाम को विश्व नें देखा । जो कार्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देश नहीं कर पाए । वह काम माननीय नरेंद्र मोदी जी नेतृत्व में भारतीय वैज्ञानिकों नें कर दिखाया । भारतीय वैज्ञानिकों नें इस दिशा में अथक प्रयास किया जिससे यह कार्य सफल हो सका उनके कार्यों से सम्पूर्ण वैश्विक समुदाय नें उनके इस कार्य की सराहना की ।
भारत नें आज 23 अगस्त 2024 अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मना रहा हैं, जिसकी थीम “चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा” है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन की महत्वपूर्ण उपलब्धि का सम्मान करने के लिए भारत में 2023 राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की घोषणा की। 23 अगस्त, 2023 को, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक उतारकर इतिहास रच दिया, जिससे भारत चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन गया। इस उपलब्धि ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की बढ़ती क्षमताओं को उजागर किया और देश के अंतरिक्ष अन्वेषण इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इस ऐतिहासिक घटना के सम्मान में, प्रधानमंत्री मोदी ने 23 अगस्त को हर साल “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की। उन्होंने शुक्रवार को देशवासियों को पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर बेहद गर्व भी व्यक्त किया और कहा कि हमारी सरकार ने इस क्षेत्र से संबंधित कई भविष्योन्मुखी निर्णय लिए हैं तथा आगे भी इसी प्रकार के और निर्णय लेगी। और आगे भी नवाचार के ऐसे दरवाजे खोलेंगे जिससे विश्व के वैज्ञानिक भारत के वैज्ञानिक नीति की ओर आकृष्ट हो सके । उनकी सोच अत्यंत दूरगामी है जिससे देश निरंतर प्रगति कर रहा है । उनका सदैव मानना होता है कि विज्ञान का प्रयास तभी सफल हो सकता है जब प्रयोगशालाओं से निकाल कर सूत्र और एक्सपेरिमेंट आमजनमानस के लिए सफल सिद्ध हो, क्योंकि इसके अनुक्रम से अनेक उपक्रम विकसित होते है जिससे विकास के नए रास्ते खुलेंगे और भारत तकनीकी प्रधान देश बनेगा।
आज सम्पूर्ण भारतवर्ष में अंतरिक्ष दिवस की गूंज सुनाई दे रही है जो विश्वगुरु बनने की गूंज भी है ।
अंतरिक्ष अन्वेषण की अविश्वसनीय उपलब्धियों और हमारी दुनिया पर इसके गहन प्रभाव को प्रतिबिंबित करने का समय है। यह कार्य शिक्षा के महत्व को उजागर करके, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देकर और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करके, अंतरिक्ष दिवस हमारे ग्रह से परे मौजूद असीम संभावनाओं की याद दिलाता है। ऐसे कार्यों में विचार विमर्श से नयें आयाम विकसित होंगे साथ ही इससे जुड़े व्यक्तियों के कार्यों को प्रेरित करने की नई ऊर्जा का भी संचार हो सकेगा एवं अन्य प्रकार के जुड़ाव के माध्यम से, अंतरिक्ष दिवस मनाने से अंतरिक्ष अनुसंधान में सार्वजनिक रुचि बनाए रखने में मदद मिलेगी और अंतरिक्ष अन्वेषण में निरंतर निवेश की आवश्यकता को रेखांकित करेगा ।
जैसा कि हम भविष्य की ओर देखते हैं, अंतरिक्ष दिवस प्रेरणा का एक प्रकाश स्तंभ बना हुआ है, जो हमें ब्रह्मांड का पता लगाने और ब्रह्मांड के चमत्कारों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का महत्व छात्रों के लिए अत्यधिक है, क्योंकि यह दिन उन्हें विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई सोच और इनोवेशन के लिए प्रेरित करता है। भारत से जुड़े प्रत्येक भारतीय इस कार्य की प्रगति में नए प्रयोगों को समन्वित करते हुए विविध अधरों पर पर उत्सव आयोजित कर रहे हैं ।
इस दिन के माध्यम से छात्रों को यह सिखाया जाता है कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हमारे पास अनंत संभावनाएं हैं, जिन्हें खोजने और समझने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का मुख्य उद्देश्य विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति जागरूकता और रुचि को बढ़ाना है। इस ओर नई पीढ़ी को अनवरत प्रयास करने की आवश्यकता है । क्योंकि देश के प्रयास के साथ-साथ किसी कार्य के लिए देशवाशियों का प्रयास आवश्यक होता है । जैसे कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कहते है कि ये ठीक है कि चुनौतियां बहुत हैं. अगर इस देश के सामने करोड़ों संकट हैं, तो इतने ही समाधान भी हैं। मेरा 130 करोड़ देशवासियों पर भरोसा है.। निर्धारित लक्ष्य के साथ, संकल्प के प्रति समर्पण के साथ जब 130 करोड़ देशवासी आगे बढ़ते हैं, तो हिंदुस्तान 130 कदम आगे बढ़ जाता है।