Mp News: मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ी खबर है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उनके पक्ष में अहम फैसला सुनाया है। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को छठे वेतनमान का लाभ मिलेगा। इस फैसले का असर प्रदेश के करीब 35 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स पर पड़ेगा। हाईकोर्ट ने मोहन यादव सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में इसे लागू करने का आदेश दिया है। अब यह भी जान लेते हैं कि कर्मचारियों और पे पर्स को इसका क्या फायदा होगा।
कोर्ट के फैसले से कर्मचारियों की बेसिक सैलरी बढ़ेगी और पेंशनर्स को पेंशन में इसका फायदा मिलेगा। दरअसल, पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि मध्य प्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के अनुसार एक जुलाई से समान वेतन वृद्धि की गई थी, जिसके चलते कर्मचारियों को छठे वेतनमान में 13 से 18 महीने बाद वेतन वृद्धि मिलेगी।
19 मार्च 2012 को केंद्र सरकार ने छठे वेतन आयोग के नियमों में बड़ा बदलाव किया था। इसके मुताबिक, जिन कर्मचारियों का वेतन वृद्धि 1 जनवरी 2005 से 1 जुलाई 2005 के बीच हुई थी, उन्हें पांचवें वेतन आयोग का एक वेतन वृद्धि दिया जाए और छठे वेतन आयोग के हिसाब से वेतन तय किया जाए और ऐसे कर्मचारियों को 1 जुलाई 2006 से वार्षिक वेतन वृद्धि दी जाए। याचिका में यह भी कहा गया था कि उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार के आदेश के मुताबिक कर्मचारियों का वेतन तय किया, लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं हुआ।
अब जानते हैं कि मामले में कब और कैसे पेच फंस गया। दरअसल, मध्य प्रदेश के कर्मचारी और पेंशनर्स लगातार मांग करते रहे हैं कि उनका वेतन केंद्र सरकार के आदेश के मुताबिक तय किया जाए, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने लगातार उनकी मांगों को नजरअंदाज किया है, जिसके बाद 2012 में पेंशनर्स एसोसिएशन ने मोर्चा खोला और तत्कालीन वित्त मंत्री के पास आवेदन, निवेदन, ज्ञापन और प्रदर्शनों का दौर शुरू हुआ। मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव वित्त ने मंत्री के साथ विभागीय फाइल को मंजूरी दे दी थी लेकिन आदेश जारी नहीं हुए जिसके बाद पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले की हाल ही में हाईकोर्ट की डबल बेंच में सुनवाई हुई और कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में निर्णय लेने और एक सप्ताह में याचिकाकर्ता को निर्णय से अवगत कराने के आदेश दिए हैं। कर्मचारी और पेंशनर्स इस बात पर नजर रखे हुए हैं कि सरकार कब और क्या रुख अपनाती है।