New Laws: नए आपराधिक कानून आज से हुए लागू: 1 जुलाई से बदल गए नियम, पढ़े 15 बड़ी बातें

New Laws 1st effective from July : देश में तीन नए अपराधिक कानून सोमवार से लागू हो जाएंगे. भारत की अपराधिक की न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव आएंगे और औपनिवेशिक काल के कानून का अंत हो रहा है

भारतीय न्याय संहिता ,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटेन काल के क्रमशः दंड प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे नए कानून से आधुनिक नवीन प्रणाली स्थापित की जाएगी

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

जिसमें जीरो FIR पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करना और एसएमएस (SMS ) के जरिए समन भेजना जैसी सुविधाएं प्राप्त होगी। सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल के अनिवार्य वीडियो ग्राफी जैसे प्रावधान सम्मिलित किए जाएंगे

New Laws मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन कानून में कुछ ज्यादा सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निजात पाने के प्रयास किए गए हैं। संविधान में निहित आदेशों को ध्यान करते हुए इसे प्रभावी रूप से निपटने का तंत्र उपलब्ध कराया गया है

New Laws केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा कहा गया कि नए कानून न्याय उपलब्ध कराने की प्राथमिकता देंगे जबकि अंग्रेजों काल के कानून में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई है.

New Laws उन्होंने कहा कि इन कानून को देशवासियों भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए हैं । यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानून को खत्म करते हैं. तो आईए जानते हैं तीन नए अपराधिक कानून की 15 बड़ी बातें.

New Laws नए कानून की 15 बड़ी बातें

  1. नए कानून के अंतर्गत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के अंदर होगा पहले सुनवाई के 60 दिन के भीतर तय होंगे

2. New Laws – दुष्कर्म पीड़िताओं के बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन के अंदर देनी पड़ेगी

3. तीन नए कानून में संगठित अपराधों और आतंकवाद को परिभाषित किया गया जिसमें राजद्रोह के जगह अब देशद्रोह लाया गया और सभी तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की वीडियो ग्राफी करना जरूरी होगा

4. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ओवरलैप धाराओं को आपस में विलय कर दिया गया और उन्हें सरलीकृत किया गया भारतीय दंड संहिता की धारा 511 के मुकाबले इसमें केवल 358 धाराएं होगी

5. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया पाठ जोड़ा गया है। किसी बच्चे को खरीदना और बेचना इसे जघन्य अपराध माना गया है. किसी नाबालिक से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या फिर उम्र कैद प्रावधान बनाया गया

6. शादी का झूठा वादा करने नाबालिक से दुष्कर्म भीड़ के द्वारा पीट कर हत्या करने आदि दर्ज मामले किए जाते हैं लेकिन मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निजात के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं बनाए गए थे. भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किए हैं

7. जीरो FIR से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में प्राथमिक की दर्ज करा सकता है भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में ना हुआ हो इससे कानून की कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज होगा

8. इस नए कानून के अंतर्गत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गए बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार के जरिए घटनाओं की रिपोर्ट दे सकता है इससे मामला दर्ज करना आसान और तेजी आएगी पुलिस की तरफ से त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी

9. इसमें कानून में जुड़ा एक और दिलचस्प पहलू यह है की गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार होगा इसे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत साथ मिल सकेगा

10. इसके अलावा गिरफ्तारी विवरण पुलिस थाने और जिला मुख्यालय के प्रमुखता से प्रदर्शित होगी इसमें गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और दोस्त महत्वपूर्ण सूचना आसानी से ले सकेंगे

11. इस कानून में महिलाएं और बच्चों के खिलाफ अपराध की जांच की प्राथमिकता होगी इससे मामले दर्ज किए जाने के 2 महीने के अंदर जांच पूरी होगी। नए कानून के अंतर्गत पीड़ितों को 90 दिन के अंदर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार प्राप्त होगा

12. आरोपी और पीड़ित दोनों अब प्राथमिक की पुलिस रिपोर्ट आरोप पत्र बयान और अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार होगा

13. इस नए कानून में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पताल में निशुल्क उपचार या इलाज उपलब्ध कराया जाएगा यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को आवश्यकता चिकित्सा की देखभाल तुरंत मिले

14. नए कानून में सभी राज्यों की सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य है ताकि गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित हो और कानून प्रक्रिया की विशेष बनी रहे

15. अदालत्ते समय रहते न्याय देने के लिए मामले की सुनवाई में अनावश्यक विलंब से बचने के वास्ते अधिकतम दो बार मुकदमे की सुनवाई स्थगित कर सकती हैं

Leave a Comment