Singrauli:जिले के खुटार पंचायत में भ्रष्टाचार की परतें खुलती जा रही हैं, सचिव और सरपंच पर गंभीर आरोप…
MP भास्कर संवाददाता सिंगरौली _मध्य प्रदेश: सिंगरौली जिले की खुटार ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार की जड़ें दिन-ब-दिन गहराती जा रही हैं। ग्राम पंचायत सचिव अशोक शाह और सरपंच सरिता पनिका पर सरकारी योजनाओं में भारी धांधली करने और करोड़ों रुपये के फर्जी भुगतान करने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों, दुकानदारों और विश्वसनीय सूत्रों द्वारा दी गई जानकारियों से एक चौंकाने वाली तस्वीर उभर कर सामने आई है, जिसमें यह स्पष्ट होता है कि पंचायत के विकास कार्यों के नाम पर केवल कागज़ी खानापूर्ति की जा रही है, जबकि जमीनी स्तर पर कार्य नदारद हैं।
फर्जी बिल और वाउचर से सरकारी राशि का गबन…?
सूत्रों के अनुसार पंचायत सचिव अशोक शाह ने विकास कार्यों के नाम पर फर्जी वाउचर और बिल बनवाकर लाखों रुपये की शासकीय धनराशि का गबन किया है। जिन निर्माण कार्यों के नाम पर भुगतान किया गया, उनमें से अधिकांश या तो धरातल पर शुरू ही नहीं हुए या केवल दिखावे के लिए कुछ काम कराया गया। मजदूरों की बजाय जेसीबी मशीनों से कार्य करवाए जा रहे हैं, जो पंचायत मद से मजदूरों से कार्य करवाना चाहिए था जिसे की मजदूरों को भी रोज़गार मील सके लेकीन इससे न केवल सरकारी नियमों की अवहेलना हो रही है बल्कि ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों का भी हनन किया जा रहा है।
सरपंच पर पंचायत सामग्री के दुरुपयोग का आरोप..?
भ्रष्टाचार का यह सिलसिला केवल सचिव तक सीमित नहीं है। विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि सरपंच सरिता पनिका ने अपने निजी भवन निर्माण के लिए पंचायत की सामग्री जैसे सीमेंट, सरिया, गिट्टी आदि का इस्तेमाल किया है। इस संबंध में ‘श्री कृष्णा इंटरप्राइजेज’ नामक एक स्थानीय दुकान से ₹2,93,000 का बिल भी बनाया गया, जिसकी सत्यता संदेह के घेरे में है। आरोप है कि यह बिल केवल कागजों पर है और वास्तव में कोई भी सामग्री पंचायत कार्यों के लिए उपयोग नहीं की गई है।
खबरों के दबाव में आनन-फानन शुरू हुआ कार्य…?
बताया जाता है कि स्थानीय मीडिया और नागरिकों द्वारा भ्रष्टाचार की खबरें लगातार प्रकाशित किए जाने के बाद अब पंचायत प्रशासन हरकत में आता दिख रहा है। सूत्रों का कहना है कि जिस कार्य को पहले कागजों पर पूर्ण बताया गया था, उसे अब जमीन पर शुरू किया जा रहा है ताकि जांच के दौरान उसे पहले से पूर्ण दिखाया जा सके। जेसीबी के माध्यम से पंचायत
क्षेत्र में एक शॉपिंग दुकान के निर्माण का कार्य हड़बड़ी में शुरू किया गया है।
पूर्व जांच और जारी अनियमितताओं का सिलसिला..?
गौरतलब है कि खुटार पंचायत सचिव अशोक शाह पर पहले भी फर्जी बिलों और भुगतान को लेकर जांच चल रही है, जिसकी रिपोर्ट जिला पंचायत सीईओ और अपर कलेक्टर स्तर तक पहुंच चुकी है। रिपोर्ट में कई ऐसे कार्यों का उल्लेख है जो केवल कागजों पर दर्शाए गए थे लेकिन जमीनी हकीकत से उनका कोई लेना-देना नहीं था। अब जब खबरों ने तूल पकड़ा, तो सचिव और सरपंच आनन-फानन में उन कार्यों को दिखावे के लिए शुरू करवा रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह पूरा मामला सचिव और सरपंच की मिलीभगत का परिणाम है। एक महीने पहले ही सामग्री खरीद ली गई थी और भुगतान भी हो चुका था, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि मजदूरों के हक को मारकर जेसीबी मशीन से कार्य करवाया जा रहा है, जो कि शासन की गाइडलाइन का उल्लंघन है।
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए, दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो और पंचायत में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। जब तक इस प्रकार के भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगाई जाती, तब तक न तो योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंच पाएगा और न ही ग्राम पंचायतों का वास्तविक विकास संभव हो पाएगा।
इनका कहना है
जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह से जब इन सभी मामलों को लेकर बात की गई तो उन्होंने साफ तौर से बताया कि उनके जैसे मन वैसे कार्य कर सकते हैं जिस प्रकार से सरपंच सचिव को छूट दी जा रही है उसे संदेह के घेरे में जिला पंचायत सीईओ पर भी कई सवाल खड़े होते हुए नजर आ रहे हैं..?
इन सभी मामलों को लेकर खुटार पंचायत सचिव अशोक शाह से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि जमीनी स्तर से कम हो रहा है और कोई भी दुकानदार उधार नहीं देता जिस वजह से हमें भुगतान करना पड़ता है और बिम कालम खुदा चुका है और काम हो रहा है.