Singrauli:माडा थाना से लेकर बधौरा चौकी क्षेत्र तक अवैध नशे और कबाड़ कारोबार को करखास सिंह साहब संरक्षण..?

Singrauli:माडा थाना से लेकर बधौरा चौकी क्षेत्र तक अवैध नशे और कबाड़ कारोबार को करखास सिंह साहब संरक्षण..?

MP भास्कर संवाददाता सिंगरौली जिले में जहां एक ओर पुलिस अधीक्षक द्वारा नशे और अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर माडा थाना क्षेत्र व बधौरा चौकी अंतर्गत अवैध गतिविधियों का बोलबाला थमने का नाम नहीं ले रहा। क्षेत्र में नशे के अवैध कारोबार, चोरी के माल की खुलेआम खरीद-फरोख्त, और कोयले से लेकर डीजल तक के गैरकानूनी धंधों ने आम जनता की नींद उड़ा दी है सूत्रों के अनुसार, इन अवैध गतिविधियों को संरक्षण देने का आरोप करखास सिंह साहब पर लग रहा है। बताया जा रहा है कि सिंह साहब की सीधी जानकारी में ये धंधे फल-फूल रहे हैं, लेकिन माडा थाना प्रभारी को इस बात की भनक तक नहीं है या फिर जानबूझकर अनदेखी की जा रही है।

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राजमिलान और बधौरा क्षेत्र में खुलेआम हो रहा गैरकानूनी धंधा…?

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, राजमिलान इलाके की कबाड़ दुकानों में चोरी का सामान धड़ल्ले से खरीदा जा रहा है। इतना ही नहीं, बिजली टावरों के पार्ट्स भी यहां बिक रहे हैं, जिससे सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान हो रहा है। वहीं बधौरा चौकी क्षेत्र में स्थित शिव मंदिर के बगल में गांजे का अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है। आरोप है कि इस नशे के धंधे में भी सिंह साहब की छाया बनी हुई है।

बधौरा चौकी के ग्रामीण क्षेत्रों में डीजल व कोयले का अवैध व्यापार..

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माडा थाना क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों, खासकर खनुआ जैसे गांवों में डीजल और कोयले के अवैध व्यापार का जाल फैल चुका है। यह सभी गतिविधियाँ प्रशासन की नाक के नीचे हो रही हैं, फिर भी ठोस कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है।

जिले के आला अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल..?

पुलिस अधीक्षक ने पहले ही जिले में अवैध गतिविधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। लेकिन करखासों की मेहरबानी और स्थानीय संरक्षण के चलते किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई अब तक होती नजर नहीं आ रही है। इससे आम जनता में आक्रोश व्याप्त है और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। स्थानीय संगठनों और जनप्रतिनिधियों से भी इस मुद्दे पर जवाबदेही तय करने की मांग की जा रही है।

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