Singrauli: प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, बिलौजी में सफाई व्यवस्था का हाल बदहाल, छात्रों ने लगाए गंभीर आरोप…
सिंगरौली मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, बिलौजी एक ऐसा संस्थान है, जहां छात्र अपने उज्ज्वल भविष्य का सपना लेकर आते हैं। यहां उन्हें ज्ञान, संस्कार और शिक्षा के उच्चतम स्तर तक पहुंचाने की बात कही जाती है। लेकिन जब बुनियादी सुविधाओं की बात आती है, तो स्थिति कुछ और ही कहानी बयां करती है।
छात्रों ने आरोप लगाए हैं कि कॉलेज में सफाई और स्वच्छता को लेकर प्रशासन की लापरवाही चरम पर है। जबकि सरकार द्वारा स्वच्छता व्यवस्था के लिए लाखों रुपये का बजट आवंटित किया जाता है, लेकिन ये रकम केवल कागजों पर ही खर्च होती दिख रही है। कॉलेज परिसर, क्लासरूम और खासकर टॉयलेट्स की हालत बद से बदतर होती जा रही है।
कॉलेज में सफाई व्यवस्था केवल कागजों में, हकीकत में गंदगी का अंबार..?
छात्रों ने बताया कि कॉलेज प्रशासन द्वारा स्वच्छता को लेकर केवल दिखावटी प्रयास किए जाते हैं। कागजों में तो हर जगह साफ-सुथरा दिखाया जाता है, लेकिन जमीनी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। टॉयलेट्स में गंदगी इस कदर फैली हुई है कि वहां जाना भी मुश्किल हो गया है। कॉलेज में पढ़ने वाले कई छात्रों ने इस मुद्दे को लेकर आवाज उठाई, लेकिन उनकी मौखिक शिकायतों को अनसुना कर दिया गया। प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। छात्रों का कहना है कि सफाई के नाम पर कई लाखों रुपये का बजट आता है, लेकिन इसका सही उपयोग नहीं हो रहा। नतीजा यह है कि कॉलेज की स्वच्छता व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।
टॉयलेट्स और क्लासरूम की हालत दयनीय…
छात्रों के अनुसार, टॉयलेट्स में इतनी गंदगी फैली हुई है कि उनका उपयोग करना संभव नहीं है। नल खराब पड़े हैं, सफाईकर्मी कभी-कभार ही नजर आते हैं और पानी की व्यवस्था भी बदहाल है। यही हाल क्लासरूम्स का भी है, जहां नियमित सफाई न होने के कारण धूल और गंदगी का जमावड़ा लगा रहता है। छात्रों ने प्रशासन से कई बार अनुरोध किया कि सफाई व्यवस्था में सुधार किया जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कुछ छात्रों ने तो यहां तक कहा कि उन्हें खुद अपनी क्लासरूम की बैंच को सफाई करनी पड़ती है, क्योंकि प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं देता।
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, कहाँ जा रहा सफाई का बजट..?
छात्रों का कहना है कि सफाई व्यवस्था के नाम पर हर साल लाखों रुपये खर्च होने का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। सवाल उठता है कि आखिर यह पैसा जा कहां रहा है? क्या यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है?
अगर सरकार और प्रशासन द्वारा सही तरीके से जांच कराई जाए, तो साफ हो सकता है कि यह पैसा कहां और कैसे खर्च किया जा रहा है। छात्रों नेताओं की मानें तो बड़े अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से सफाई का बजट केवल कागजों पर ही खर्च दिखा दिया जाता है, जबकि जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं बदला।
छात्रों ने की प्रशासन से जांच कर कार्रवाई की मांग…
कॉलेज के छात्र नेताओं ने मांग की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
छात्रों का कहना है कि जब प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान चला रहे हैं, तो उनके नाम पर चलने वाले इस कॉलेज में गंदगी क्यों फैली हुई है? आखिर प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहे?
क्या सुधरेगी कॉलेज की स्थिति..?
प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस जैसे संस्थान से बड़ी उम्मीदें लगाई जाती हैं, लेकिन अगर बुनियादी सुविधाएं ही ठीक न हों, तो छात्रों का भविष्य कैसे संवर पाएगा? कॉलेज प्रशासन को चाहिए कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द सफाई व्यवस्था में सुधार करें।
यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, तो निश्चित रूप से कॉलेज की स्थिति सुधर सकती है। वरना, यह सिर्फ कागजों में ही स्वच्छ बना रहेगा, और हकीकत में छात्रों को गंदगी और अव्यवस्था से जूझना पड़ेगा। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है, या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
इन सभी मामलों को लेकर जब डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ एम. यू. सिद्दीकी के पास सवाल किया गया तो कैमरे को देखते ही ऑफिस छोड़कर भागते हुए नजर आए..