Narayan Meghaji Lokhande: नारायण मेघाजी लोखंडे का वह आंदोलन, शुरू हुई रविवार को छुट्टी, कर्मचारियों को मिलने लगा वेतन

Narayan Meghaji Lokhande : 14 जुलाई 2024/ रविवार को रहने वाली छुट्टी को लेकर हमारे मन में ऐसी धारणा आती होगी कि इस दिन छुट्टी क्यों रहती है। और इस दिन अवकाश रहे ऐसा विचार किसका रहा होगा। तो आपको बता दें नारायण मेघा जी लोखंडे ऐसे आंदोलनकारी थे जिन्होंने इन मुद्दों को उठाया था। जिससे शासकीय निजी कर्मचारियों के लिए अवकाश रहता है। हालाकि इंटरनेट पर रविवार को लेकर ऐसे कई टॉपिक है जिनके अलग-अलग संदर्भ हो सकते है।

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नारायण मेघा जी लोखंडे महात्मा ज्योतिबा फुले के मुख्य सहयोगी और सत्यशोधक समाज के सदस्य थे नारायण मेघा जी का जन्म पुणे जिले के कन्हेरसर माली परिवार में हुआ उन्होंने हाई स्कूल तक शिक्षा ली उनकी पत्नी का नाम गोपिका बाई और उनके एक बेटा था जिनका नाम गोपीनाथ. नारायण मेघा जी सत्यशोधक आंदोलन के बारे में पहले से ही जानते थे और 1874 में इसके दूसरे वर्ष सदस्य बन गए थे

नारायण मेघा जी लोखंडे को भारत में ट्रेड यूनियन आंदोलन का जनक

नारायण मेघाजी लोखंडे को भारत में ट्रेड यूनियन आंदोलन का जनक भी कहा जाता है 1880 के बाद से उन्होंने दीनबंधु के प्रबंध संभाल जो बंबई में प्रकाशित हुआ था उस समय उन्होंने मुंबई के एक कॉटन मिल में हेड क्लब की नौकरी छोड़ दी और मिलहेड्स संगठन की स्थापना की और खुद को पूरी तरह से समाज सेवा से जोड़ लिया

Narayan Meghaji Lokhande लोखंडे के कारण मिल मजदूरों को मिले कुछ अधिकार ये

मिल को सुबह 6:30 बजे से काम करना शुरू होना चाहिए और सूर्यास्त तक बंद कर देना चाहिए

दोपहर में श्रमिकों को आधे घंटे अवकाश मिलना चाहिए

कर्मचारियों के वेतन हर महीने की 15 तारीख को दिया जाना चाहिए

मिल मजदूरों को रविवार को साप्ताहिक अवकाश होना चाहिए

Narayan Meghaji Lokhande भारत में पहला मजदूर संघ कब शुरू हुआ, अन्य देश क्यों मनाते है रविवार को छुट्टी

Narayan Meghaji Lokhande: नारायण मेघाजी के द्वारा मुंबई में कपड़ा मजदूरों की बैठकों को भी संबोधित किया गया यह बात जानने लायक है कि फूलबाई और उनके साथियों कृष्णा राम भालेकर और लोखंडे के द्वारा किसानों और मजदूरों को संगठित करने के प्रयास से पहले किसी भी संगठन ने उनकी शिकायतों के निवारण के लिए प्रयास नहीं किया था। लोखंडे भारत में पहले मजदूर संघ शुरू किया मुंबई मिलहेड्स एसोसिएशन के नाम से

दुनिया में रविवार की छुट्टी को लेकर ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन ईसा मसीह ने अपना शरीर छोड़ा उस दिन को लोग गुड फ्राइडे कहते हैं और रविवार के दिन उन्हें जीवित देखा गया था जीवित देखे जाने की इस घटना में ईस्टर संडे के रूप में माना जाता है तभी से रविवार के दिन चर्च में प्रार्थना करते हैं यही कारण है कि अंग्रेजों ने भारत में रविवार को छुट्टी घोषित की

हिंदू धर्म में रविवार की छुट्टी का महत्त्व

कई पौराणिक कहानियों के अनुसार हिंदू मान्यताओं के मुताबिक रविवार को सप्ताह का पहला दिन माना जाता है यह सूर्य देवता और भगवान विष्णु का वार है इस दिन सभी देवी और देवताओं की पूजा के प्रावधान है इसीलिए रविवार का महत्व है हिंदू धर्म में रविवार के बाद गुरुवार सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है

इस्लामिक देश में शुक्रवार को रहती है छुट्टी

Quora से मिली जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि भारत में मुगल के शासनकाल में शुक्रवार को छुट्टी मनाई जाती थी क्योंकि इस्लाम में शुक्रवार यानी जुम्मा के दिन नमाज पढ़ने महत्वपूर्ण दिन होता है भारत में भी अधिकतर मजदूर की छुट्टी शुक्रवार को ही रहती थी किसी भी इस्लामिक देश में रविवार को नहीं बल्कि शुक्रवार को छुट्टी मनाई जाती है

रविवार की छुट्टी पर क्या कहता है ज्योतिष ज्ञान

शास्त्रों के मुताबिक रविवार को प्रकृति ध्रुव है. रविवार को सूर्य अपनी सबसे अधिक ऊर्जा लिए रहता है सूर्य प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत है और प्रकाश को सनातन धर्म में सकारात्मक भावों का भी प्रतीक माना जाता है

इस प्रकाश में सभी तरह के रोग और शोक मिटाने की शक्ति होती है प्रतिदिन प्रात: काल सूर्य के समक्ष कुछ देर खड़े रहने से सभी तरह के पोषक तत्व और विटामिन की पूर्ति हो जाती है इसीलिए रविवार को घूमने टहलने के लिए माना गया है।

भारत में कब लागू हुई रविवार को छुट्टी

भारत में रविवार की छुट्टी की शुरुआत 1843 में एक अंग्रेज गवर्नर जनरल ने शुरू की थी इसके बाद 1844 में स्कूल और कॉलेज में भी रविवार को हॉलीडे रहने लगा

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